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अजीब सी दास्ताँ दिखा रही है ज़िंदगी ,           मेरे आसियाने में | बहुत मुश्किल से मिला था रूह को सुकून इस          इस ज़माने में | लगा था ज़िंदगी सवर रही है बस इक तुम्हारे आने से शायद नज़र लगी किसी हवा के झोके का जो बिखेर गया मेरे सारे सपने          इसी ज़माने में | बहुत कोशिश करते है जो खुद की दस्ता सुनाने की भर आती है आंखे आप बीती बताने में | बिखरी अपने सपनो को दिल में संजोया है हमने ताकि मै बिखर न जाऊ फिर इस ज़माने में |